धर्मशाला। कृषि विशेषज्ञ किसानों (Farmers) तक फसलों (Crops) को कीटों से बचाने की जानकारियां पहुंचाएं।
ये निर्देश कृषि मंत्री (Agriculture minister) प्रो. चंद्र कुमार ने दिए। उन्होंने बुधवार को धर्मशाला स्थित भू-संरक्षण अधिकारी (Officer) कार्यालय (Office) के सभागार में प्रदेश में भांग की खेती, फाल आर्मी वर्म में फैलाव और फसलों मेें स्टंट रोग के विषय में अधिकारियों और कृषि विशेषज्ञों के साथ समीक्षा बैठक की।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री (Chief minister) सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में समाज के समस्त वर्गों एवं किसानों को सशक्त बनाने के उद्देश्य से प्रदेश सरकार द्वारा कई योजनाएं संचालित की जा रही हैं। प्रदेश सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि सभी वर्गों को उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति के अनुसार योजनाओं का लाभ मिले और विकास की मुख्यधारा से कोई भी व्यक्ति वंचित न रहे। कृषि मंत्री ने अधिकारियों और कृषि विशेषज्ञों को कहा कि सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं और कृषि उत्पादन को बढ़ाने एवं कीटों से बचाव की जानकारी किसानों तक पहुंचाना सुनिश्चित करें। उन्होंने भांग की खेती के बारे में मौजूद अधिकारियों के साथ विभिन्न पहलुओं पर मंथन किया। उन्होंने कहा कि भांग की खेती पर एक पायलट अध्ययन को मंजूरी दी गई है। यह अध्ययन भांग की खेती के विषय में भविष्य की रूपरेखा का मूल्यांकन और सिफारिश करेगा।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में भांग की खेती को कानूनी तौर पर शुरू करने को लेकर नियम निर्धारित किए जा रहे हैं। इन नियमों पर मंत्रिमंडल की बैठक में चर्चा कर मंजूरी देना प्रस्तावित है। उन्होंने कहा कि भांग के पौधों को दवाओं के अलावा इससे प्राप्त होने वाले फाइबर को कपड़ा उद्योग और हस्तशिल्प उत्पादों में भी उपयोग में लाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि 24 रोगों के उपचार में भांग के पौधों से मिलने वाले रसायन सहायक हैं।
उन्होंने कहा कि विशेषज्ञ किसानों को फसलों में जैविक विधि से कीट प्रबंधन की जानकारी दें। इससे किसान विवेकपूर्ण तरीके से हानिकारक कीटों का नियंत्रण कर सके, ताकि पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य को कीटनाशकों से नुकसान न हो। कृषि मंत्री ने विशेषज्ञों से पारंपरिक खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को जागरूक करने का आह्वान किया।
चौधरी सरवन कुमार कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के प्रमुख वैज्ञानिक डाॅ. राजन कटोच ने भांग की खेती, इसके लाभों और कानूनी पहलुओं के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि भांग के पौधे के सभी भाग किसी न किसी रूप में प्रयोग में लाए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि एक एकड़ भांग की खेती से 10 क्विंटल फाइबर प्राप्त किया जा सकता है। इसे विभिन्न कपड़ा एवं अन्य उत्पादों में उपयोग में लाया जा सकता है। वहीं इससे प्राप्त होने वाले रसायन कई प्रकार के रोगों के उपचार में काम में आते हैं।
इसके बाद डाॅ. अजय कुमार सूूद ने प्रदेश में विभिन्न स्थानों पर फसलों में फाॅल आर्मी वर्म कीट के प्रसार के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि प्रतिवर्ष जून से अक्तूबर माह के दौरान यह कीट विशेषकर मक्की की फसल पर प्रभाव डालता हैं। उन्होंने कहा कि नीम के कीटनाशकों जैसे प्राकृतिक कीटनाशक से भी इस पर काबू पाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि मक्की की जल्द बुआई से भी इस कीट के प्रभाव में कमी देखने को मिली है। इसके साथ ही समय-समय पर विभिन्न कीटनाशकों को बदल-बदल कर उपयोग में लाने से भी इस पर काबू पाया जा सकता है।
डाॅ. सुमन कुमार ने वाईटहेड प्लांट हॉपर कीट के फैलाव एवं रोकथाम के बारे में विस्तार से बताया।
कार्यक्रम के दौरान कृषि मंत्री प्रो. चंद्र कुमार को संयुक्त कृषि निदेशक डाॅ. राहुल कटोच ने शाॅल, टोपी और स्मृतिचिन्ह देकर सम्मानित किया। उन्होंने कृषि मंत्री को विभाग द्वारा विभिन्न योजनाओं पर किए जा रहे कार्यों और उनकी प्रगति से भी अवगत करवाया।
बैठक में डाॅ. कुलदीप धीमान उपनिदेशक कृषि कांगड़ा, डाॅ. राजकुमार परियोजना निदेशक आत्मा कांगड़ा, डाॅ. वाईपी कौशल डीपीएम जायका कांगड़ा, डाॅ. राजेश डोगरा एसएमएस उत्तर क्षेत्र धर्मशाला, डाॅ. गौरव सूद जिला कृषि अधिकारी कांगड़ा, डाॅ. रितेश संयुक्त निदेशक बीईडीएफ एपीडी केंद्र सरकार, संजय धर मंडल प्रमुख पीएनबी धर्मशाला, रणवीर पृथ्वी एलडीएम जिला कांगड़ा, दीक्षित जरयाल विपणन सचिव कांगड़ा और प्रगतिशील किसान शिव देव मौजूद थे।