इस साल (2024) का पहला (1st) सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse) सोमवार (8 अप्रैल) को लगेगा। इसका सबसे ज्यादा असर अमेरिका में दिखेगा। वहां इसे लेकर डर के साथ देखने की उत्सुकता (egarness) भी है।
विज्ञान में खगोलीय घटना, धर्म और ज्योतिष शास्त्र में अलग महत्व
जहां विज्ञान में सूर्य ग्रहण को खगोलीय घटना माना जाता है, वहीं धर्म और ज्योतिष शास्त्र में इसका अलग महत्व (importance) है। कहा जा रहा जा रहा है कि यह एक पूर्ण सूर्य ग्रहण होगा। यह ग्रहण मीन राशि एवं रेवती नक्षत्र में लगेगा।
अमेरिका की चिंता का कारण
इसको लेकर अमेरिका की चिंता बढ़ी है। मगर भारत में ज्यादा असर न होने के चलते चिंता की कोई बात है। यह सूर्य ग्रहण बहुत लंबा रहेगा। यह भारतीय समय के अनुसार रात 9.12 से मध्य रात्रि 1.25 बजे तक रहेगा।
करीब 8 मिनट तक पूरी धरती अंधेरे में डूब जाएगी
वहीं अमेरिका में यह दोपहर के 2 .15 बजे शुरू होगा। यह कुल 4 घंटे 25 मिनट का होगा। इसमें करीब 8 मिनट तक पूरी धरती अंधेरे में डूब जाएगी। यह सूर्य ग्रहण कई देशों में दिखेगा, लेकिन सबसे ज्यादा साफ यह अमेरिका खास कर उत्तरी हिस्से में साफ देखा जा सकेगा। इसके अतिरिक्त इसे पश्चिमी यूरोप पेसिफिक, अटलांटिक, आर्कटिक मेक्सिको, कनाडा, मध्य अमेरिका, दक्षिण अमेरिका के उत्तरी हिस्सों, इंग्लैंड के उत्तर-पश्चिम भाग और आयरलैंड में दिखेगा।
स्कूल बंद रखने का फैसला
सूर्य ग्रहण को लेकर अमेरिका चिंतित है। वहां सुरक्षा के विशेष प्रबंध किए जा रहे हैं। ग्रहण वाले दिन स्कूल बंद रखने का फैसला लिया गया है। यही नहीं, नागरिकों को इस दिन घर में रहने के लिए कहा गया है, ताकि सूर्य की हानिकारक किरणों से बचाव हो सके। नागरिकों को खाना और गैस जैसी जरूरी चीजों का पहले से संग्रह करने को कहा है, ताकि उस दिन घर से न निकलना पड़े।
वैज्ञानिकों ने कहा, यह ग्रहण खतरनाक हो सकता है
वैज्ञानिकों ने कहा है कि यह ग्रहण खतरनाक हो सकता है। ऐसे में लोग जरा सी भी लापरवाही न बरतें। भारत में ज्यादा असर न होने के चलते यहां के लोगों को घबराने की आवश्यकता नहीं है। दिखाई न देने के चलते भारतीयों पर ग्रहण का कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ेगा। ऐसे में न तो इसका धार्मिक महत्व होगा और न ही इसका सूतक काल माना जाएगा।