भरमौर। तबाही के बीच मणिमहेश (Manimahesh) में राधा अष्टमी पर डल तोड़ने की रस्म निभाने के लिए गए संचुई के चेले वापस लौट (Retrun) आए हैं। इससे सदियों पुरानी परंपरा टूट गई है। यह पहली बार होगा कि डल नहीं टूटेगा।
चंबा जिले में इस समय प्रकृति (Nature) कहर बरपा रही है। इससे न केवल जन-जीवन को अस्त-व्यस्त हो गया है, बल्कि मणिमहेश यात्रा भी रोकनी पड़ी। हजारों श्रद्धालु जिले में फंस गए। बिजली, फोन और सड़क सुविधा से जिलावासी और श्रद्धालु वंचित हो गए। श्रद्धालु जैसे-तैसे अब घरों को रवाना हो रहे हैं।
इसी बीच डल तोड़ने की रस्म निभाने के लिए संचुई के शिव चेले निकले थे, जिनको भी मौसम के रुख को देखते हुए लौटने को मजूबर होना पड़ा। शिव चेलों का जत्था यात्रा के मुख्य पड़ाव हड़सर पहुंचा तो उन्हें वहां से पता चला कि आगे मणिमहेश की ओर जाने वाला पूरा रास्ता भू-स्खलन और बाढ़ के कारण पूरी तरह से तबाह हो चुका है। जगह-जगह विशालकाय पत्थर और मलबा पड़ा है।
लगातार हो रही बारिश के कारण आगे बढ़ना जान जोखिम में डालने जैसा था। विकट परिस्थितियों को देखते हुए शिव चेलों ने यह निर्णय लिया कि वे आगे नहीं जा सकते और वहीं से वापस भरमौर लौट आए। इस साल प्रदेश में मौसम खूब कहर ढहा रहा है। इससे लगभग पूरे प्रदेश में तबाही मची है। मंडी, कुल्लू, कांगड़ा और चंबा जिले इससे खासे प्रभावित हैं। मणिमहेश से पहले श्रीखंड महादेव और किन्नर कैलाश यात्रा पर भी कुदरत का कहर टूटा था।