शिमला। प्रदेश हाईकोर्ट (Highcourt) ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। कोर्ट ने विधवा बहू के पुनर्विवाह की सूरत में सास-ससुर को पारिवारिक पेंशन (Pension) का हकदार करार दिया है। यह फैसला 24 साल बाद दायर याचिका पर सुनाया है। इसमें याचिकाकर्ता ने अपने दिवंगत बेटे की फैमिली (Family) पेंशन की मांग की थी।

कोर्ट ने केंद्र सरकार के 17 अगस्त, 1999 के उस आदेश को रद कर दिया, जिसमें याचिकाकर्ता की मांग को खारिज किया गया था। यही नहीं, केंद्र सरकार को 6 हफ्ते में याचिकाकर्ता की मांग पर नियम 50 के खंड 10 के तहत विचार कर निर्णय देना होगा। याचिकाकर्ता शंकरी देवी (83) और उनके दिवंगत पति सीताराम थे । इनके बेटे लेख राम की 1985 में बीएसएफ में सेवा के दौरान शादी के 10 दिन बाद ही मौत हो गई थी। इसके बाद उनकी बहू को पेंशन 1990 में उसके पुनर्विवाह के बाद पेंशन बंद हो गई।

याचिकाकर्ता ने विभाग से कई बार अनुरोध किया पर उन्हें यह कहकर मना कर दिया गया कि याचिका 24 साल बाद दायर हुई है। हाईकोर्ट ने कहा कि यदि किसी व्यक्ति को लगातार नुक्सान हो रहा हो तो देरी को न्याय के हित में नजरअंदाज किया जा सकता है। हालांकि, बकाया पेंशन का भुगतान केवल याचिका से तीन साल पहले तक ही सीमित रहेगा। केस की अगली सुनवाई 22 जुलाई को होगी।

इसमें कोर्ट सुनिश्चित करेगा कि सरकार ने दिए गए आदेश की अनुपालना की या नहीं। यह फैसला न केवल संवैधानिक व्याख्या में मार्गदर्शक है, बल्कि यह वृद्ध माता-पिता के अधिकारों और सामाजिक सुरक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण न्यायिक पहल है।

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