शिमला। किन्नौर जिले में स्थित शिपकी-ला मार्ग से कैलाश (Kailash) मानसरोवर यात्रा की संभावनाएं तलाशी जाएं। यह आग्रह मुख्यमंत्री सुक्खू (CM Sukhu) ने केंद्र सरकार से किया है। उन्होंने प्रधानमंत्री (PM) नरेंद्र मोदी को इस विषय में पत्र (Letter) लिखा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि शिपकी-ला क्षेत्र वर्तमान सीमाओं से पूर्व भारत-तिब्बत व्यापार का महत्त्वपूर्ण मार्ग रहा है।
उन्होंने कहा कि यह मार्ग तिब्बती बौद्ध धर्म और प्राचीन तीर्थ यात्रा पथों के लिए एक सांस्कृतिक गलियारा भी रहा है, जो कैलाश और मानसरोवर के साथ देश के स्थायी सभ्यतागत संबंधों को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि किन्नौर क्षेत्र अर्ध शुष्क होने के साथ-साथ स्पीति जैसे वर्षा छाया क्षेत्र में स्थित होने के कारण मानसून की बाधाओं से कम प्रभावित होता है।
इससे वर्ष के अधिकांश समय यह मार्ग सुगम रहता है। उन्होंने कहा कि शिपकी-ला से गरतोक होते हुए दारचेन और मानसरोवर की ओर जाने वाला मार्ग तिब्बत की ओर से पास है। उन्होंने कहा कि शिपकी-ला अधिक स्थिर और स्पष्ट गलियारा भी प्रदान करता है, जो इस मार्ग को दीर्घकालिक, विश्वसनीय तीर्थयात्रा और सीमापार संपर्क के लिए उपयुक्त बनाता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि रामपुर और पूह से शिपकी-ला तक पहले से ही सड़क सुविधा उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि आधार शिविरों और सहायक बुनियादी ढांचे के केंद्रित विकास के साथ इस मार्ग को कैलाश मानसरोवर यात्रा ढांचे में निर्बाध रूप से एकीकृत किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि यह किन्नौर के जनजातीय लोगों के उत्थान के लिए भी दूरगामी भूमिका निभाएगा।
यह वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम के तहत सीमा विकास और पर्यटन के लिए सरकार के दृष्टिकोण के अनुरूप है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि शिपकी-ला मार्ग कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए खोला जाता है तो राज्य सरकार, केंद्र सरकार को हर प्रकार का जरूरी प्रशासनिक और लॉजिस्टिक सहयोग देगी।