नीरज दीक्षित। नगरोटा बगवां
प्रदेश
सरकार (Government) ने अधिकारों (Rights) किया ओबीसी (OBC) वर्ग को उसके संवैधानिक अधिकारों से वंचित किया है। यह आरोप कर्नल स्वरूप कोहली ने लगाए हैं। उन्होंने कहा कि 19 वर्ष बीत जाने के उपरांत भी संविधान के अनुच्छेद 15 (5) के अनुसार सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों को शैक्षणिक संस्थानों में उनके प्रवेश के लिए आरक्षण के प्रावधानों को लागू नहीं है, जबकि राज्य सरकार ने अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों को शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश हेतु अनुच्छेद 15 (5) के अंतर्गत आरक्षण का लाभ प्रदान किया है।

आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को अनुच्छेद 15 (6) के अंतर्गत आरक्षण की सुविधा भी लागू की है, जबकि सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्ग आज भी संविधान के अनुच्छेद 15 (5) में दिए गए इस संवैधानिक अधिकार से वंचित हैं। इससे यह साफ प्रतीत होता है कि प्रदेश सरकार जातिवाद कर राज्य के बहुसंख्यक ओबीसी वर्ग को दिए गए संवैधानिक अधिकारों का उल्लघंन कर संविधान का अपमान कर रही है।

संविधान के इस संशोधन का आंशिक क्रियान्वयन 93वें संविधान संशोधन की मूल भावना और उद्देश्य का सीधा उल्लंघन है, जो विशेष रूप से राज्य को यह अधिकार देता है कि वह किसी भी सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्ग या अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के उन्नयन हेतु शैक्षणिक संस्थानों (चाहे वे निजी हों या सरकारी सहायता प्राप्त) में प्रवेश के लिए विशेष प्रावधान बना सके। ओबीसी वर्ग को शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण से वंचित रखना न केवल योग्य छात्रों के अवसरों को छीन रहा है, बल्कि हमारे संविधान में निहित सामाजिक न्याय और समावेशी विकास के बड़े लक्ष्य को भी विफल कर रहा है।

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से यह आग्रह किया जाता है कि राज्य सरकार अनुच्छेद 15 (5) के प्रावधानों को पूरी निष्ठा और ईमानदारी से लागू करें और सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों को शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश में उनका उचित अधिकार तुरंत प्रदान करें।

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