कांगड़ा। गर्मी और उमस का मौसम आते ही एक आम, लेकिन परेशान करने वाला रोग किर सिर उठाता है। इसे आम बोलचाल में आई फ्लू (Eye flu) कहते हैं। मेडिकल की भाषा में इसका नाम है वायरल कंजंक्टिवाइटिस।

मशहूर आई स्पेशियलिस्ट डॉ. संदीप महाजन ने बताया कि हर साल जुलाई-अगस्त में यह रोग तेजी से फैलता है। खासकर स्कूलों, दफ्तरों, अस्पतालों और भीड़-भाड़ वाले स्थानों में। इस बार भी देश के कई राज्यों में हजारों मामले सामने आए हैं।

इसके फैलने का मुख्य कारण होता है एडेनोवायरस। यह वायरस हवा से नहीं फैलता है। यह संक्रमित व्यक्ति के स्पर्श या चीजों से फैलता है। तौलिया, तकिया, चादर, मोबाइल, दरवाजे के हैंडल, पेन, चश्मा, ये सब वायरस को फैलाने का जरिया बन सकते हैं। यह वायरस किसी सतह पर 30 दिन तक जीवित रह सकता है।
इसके लक्षण हैं :
 आंखों में लाली और जलन
 पानी आना या चिपचिपा स्राव
 पलकें चिपक जाना
 रोशनी से चिढ़
 कभी-कभी सूजन और दर्द
✅ क्या करें और क्या न करें?

करें
✔ दिन में कई बार साबुन से हाथ धोएं
✔ आंखें साफ और सूखी रखें
✔ अलग तौलिया और रुमाल इस्तेमाल करें
✔ स्कूल या ऑफिस में संक्रमण है तो घर पर रहें

न करें
✅ आंखें बार-बार न छुएं
✅ किसी और का तौलिया या तकिया न लें
✅ बिना डॉक्टरी सलाह के दवा न डालें
✅स्टेरॉयड ड्रॉप्स खुद से न लें

इलाज क्या है?
यह बीमारी अपने आप ठीक हो जाती है। आमतौर पर 5-7 दिन में।
आंखों में जलन या सूखापन हो तो आर्टिफिशियल टियर्स (आंसू की बूंदें) राहत दे सकती हैं।
डॉक्टर की सलाह से हकके एंटीसेप्टिक या एंटीबायोटटक ड्रॉप्स दिए जा सकते हैं।
✅ ध्यान रखें : सबना डॉक्टरी सलाह के स्टेरॉयडस डाले गए तो गंभीर नुक्सान हो सकता है। यहां तक कि नजरों पर असर भी पड़ सकता
है।
संदेश सीधा है: आंखों की सुरक्षा आपके हाथ में है
हाथ धोना, आंखें न छूना और दूसरों से दूरी-यही इस संक्रमण को रोकने का सबसे कारगर उपाय है। इलाज के बजाय बचाव को अपनाइए। आपकी जागरुकता ही आपकी आंखों की सबसे बड़ी रक्षा है।

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