धर्मशाला। प्राकृतिक खेती पर धर्मशाला (Dharmshala) में मंगलवार को दो दिवसीय कार्यशाला शुरू हुई। इसका शुभारंभ कृषि एवं पशुपालन मंत्री प्रोफेसर चंद्र कुमार ने किया।
इस दौरान प्रो. चंद्र कुमार ने कहा कि प्रदेश प्राकृतिक खेती की दिशा में देशभर में उदाहरण पेश कर रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार किसानों को तकनीकी मार्गदर्शन, प्रशिक्षण एवं प्रोत्साहन के माध्यम से प्राकृतिक खेती को जन आंदोलन बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।
उन्होंने किसानों से अपील की कि वे इस दिशा में आगे बढ़कर आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वस्थ पर्यावरण और सुरक्षित अन्न सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि प्रदेश के सभी कृषि जलवायु क्षेत्रों में किसान और बागवान विभिन्न फसलों व फलों को सफलतापूर्वक प्राकृतिक विधि से उगा रहे हैं। प्रदेश में अभी तक 3 लाख 6 हजार किसान बागवानों को प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण दिया गया है। राज्य की 3584 पंचायतों में 2,22,893 से अधिक किसान अब 38,437 हेक्टेयर भूमि पर प्राकृतिक तरीके से विविध फसलें ले रहे हैं।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार प्राकृतिक खेती पर विशेष बल दे रहे हैं। प्रदेश सरकार ने प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों के उत्पादों को प्राथमिकता के आधार पर खरीदने के साथ, पूरे देश में गेहूं और मक्का के लिए सबसे अधिक न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया है। प्राकृतिक खेती से उगाई गई गेहूं का समर्थन मूल्य 40 से बढ़ाकर ₹ 60 प्रति किलोग्राम किया गया है। प्राकृतिक खेती से उगाई गई मक्की का समर्थन मूल्य 30 से बढ़ाकर ₹ 40 प्रति किलो किया गया है। प्राकृतिक खेती से उगाई गई मक्की और गेहूं को खरीद केंद्रों तक पहुंचाने के लिए ₹ 2 प्रति किलोग्राम ट्रांसपोर्टेशन सब्सिडी की घोषणा की गई है। प्राकृतिक खेती से उगाई गई कच्ची हल्दी के लिए भी ₹ 90 प्रति किलोग्राम न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया गया है।
इसके बाद प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के राज्य परियोजना निदेशक हेमिस नेगी स्वागत भाषण दिया। उन्होंने कहा कि इस योजना का लक्ष्य खेती को रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता से मुक्त कर सतत एवं लाभकारी बनाना है। इसके बाद कार्यकारी निदेशक डॉ. अतुल डोगरा ने प्राकृतिक खेती एवं आत्मा योजना का संक्षिप्त अवलोकन प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती भूमि की सेहत, जैव विविधता और किसान की आर्थिक स्थिति में सुधार का सशक्त माध्यम है।
प्रधान वैज्ञानिक, जैविक कृषि एवं प्राकृतिक खेती विभाग, कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर डॉ. रामेश्वर ने फसल उत्पादन तकनीकों पर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती में स्थानीय संसाधनों जैसे गोबर, गोमूत्र, बीजामृत और जीवामृत का प्रयोग लागत को कम करता है और उत्पाद को पोषक बनाता है।
इसके बाद प्रगतिशील किसानों शक्ति देव (धर्मशाला), मुनिष कुमार (हमीरपुर), वीना धीमान (नगरोटा बगवां), रिशु कुमारी (कांगड़ा) एवं राजेश कुमार (चंबा) ने भी अपने प्राकृतिक खेती के अनुभव साझा किए। किसानों ने बताया कि प्राकृतिक खेती अपनाने से उनकी फसलों की गुणवत्ता में सुधार हुआ है और मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी बढ़ी है।
प्रधान वैज्ञानिक, जैविक कृषि विभाग, कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर, डॉ. गोपाल कतना, ने बीज प्रणाली में प्राकृतिक खेती की भूमिका पर व्याख्यान दिया, जबकि सहायक प्रोफेसर डॉ. राकेश कुमार ने फसल संरक्षण प्रणाली विषय पर जानकारी दी।
वहीं सहायक निदेशक (पशुपालन) डॉ. संदीप मिश्रा ने प्राकृतिक खेती में पशुपालन के एकीकरण पर चर्चा की और बताया कि गाय आधारित जैविक प्रणाली प्राकृतिक खेती की रीढ़ है।
दोपहर के सत्र में कृषि उपनिदेशक, प्राकृतिक खेती डॉ. महेंद्र भवानी ने प्राकृतिक खेती पर तकनीकी सत्र संचालित किया। डॉ. विशाल सूद, एसटीओ पालमपुर ने मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन एवं फसल प्रणाली पर प्रस्तुति दी।
सहायक प्रोफेसर कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर ने प्लांट प्रोटेक्शन के बारे में बताया। इस मौके पर कृषि मंत्री ने बायो इनपुट रिसोर्स सेंटर (बीआरसी), ब्लॉक नगरोटा सूरिया की सुमना देवी, फतेहपुर ब्लॉक के उमेश कुमार, ब्लॉक बडोह की सविता देवी, धर्मशाला ब्लॉक की ललिता देवी तथा नगरोटा बगवां ब्लॉक के बलवंत कुमार को ₹ 25-25 हजार के प्रोत्साहन राशि के चेक वितरित किए। इसके अलावा कृषि मंत्री ने सिया स्वयं सहायता समूह ब्लॉक भेडू महादेव, अनमोल कृषि समूह नगरोटा बगवां ब्लॉक, शिव महिला कृषि समूह धर्मशाला ब्लॉक, प्राकृतिक खेती किसान ग्रुप फतेहपुर ब्लॉक, जागृति कृषि समूह देहरा ब्लॉक को ₹ 10-10 हजार के प्रोत्साहन राशि के चेक बांटे। इस कार्यशाला में कांगड़ा, चंबा और हमीरपुर जिले के 500 से अधिक किसान इस कार्यशाला में भाग ले रहे हैं।
कार्यक्रम में परियोजना निदेशक आत्मा कांगड़ा डॉ. राज कुमार, संयुक्त निदेशक कृषि डॉक्टर राहुल कटोच, उप निदेशक कृषि कुलदीप धीमान, उप निदेशक उद्यान अलक्ष पठानिया, महिला कांग्रेस महासचिव ममता मेहरा सहित कृषि विभाग, पशुपालन विभाग, आत्मा परियोजना, विभिन्न जिलों के प्रगतिशील किसानों एवं कृषि अधिकारियों ने भाग लिया।