बिलासपुर। जब अभिभावकों का सही मार्गदर्शन मिले और बच्चे भी मेहनत करें तो उनके लिए बड़े से बड़ा मुकाम (Achievement) पाना आसान हो जाता है। इसका उदाहरण बिलासपुर के जुखाला में देखने को मिला। यहां माता-पिता के सही मार्गदर्शन और मेहनत से मात्र साल के बच्चे युवान चंद्र ने वो कर दिखाया है, जो बड़े नहीं कर पाते हैं। युवान चंद्र ने बिना आराम किए छह माह की कड़ी ट्रेनिंग ली। इसके बाद इस बच्चे ने दुनिया के सबसे ऊंचे बेस कैंप (Base camp) माउंट एवरेस्ट (Mount Everest) को फतह कर वहां तिरंगा फहराया। गौर हो कि यह दुनिया का सबसे ऊंचा बेस कैंप है। इसकी ऊंचाई 17,598 फुट है।

देश का नाम रोशन कर दिया

माउंट एवरेस्ट का तापमान माइनस 15 डिग्री है। यही नहीं, यहां पर ऑक्सीजन की भी कमी है। इस सबके बीच यह ट्रैकिंग को काफी मुश्किल होती है। इस कारण ज्यादातर ट्रैकर यहां पर ट्रैकिंग नहीं करते हैं। मगर नन्हे युवान चंद्र ने अपने मां-बाप के साथ इस ट्रैकिंग को सफलतापूर्वक पूरा कर देश का नाम रोशन कर दिया है।

बिलासपुर में ख़ुशी की लहर

इस नन्हे बच्चे की उपलब्धि से बिलासपुर में ख़ुशी की लहर है। युवान ने यह उपलब्धि अपने पिता सुभाष चंद्र और मां दिव्या भारती के साथ हासिल की है।

क्या कहा पिता ने

युवान के पिता सुभाष चंद्र ने कहा कि उन्होंने परिवार के साथ काठमांडू से माउंटेन फ्लाइट ली। लुक्ला एयरपोर्ट से यह ट्रैकिंग शुरू हुई। ट्रैकिंग के लिए बेटे को कड़ी ट्रेनिंग करवाई।

ट्रैकिंग 8 अप्रैल को शुरू हुई

ट्रैकिंग 8 अप्रैल को शुरू हुई। 11 दिन बाद 135 किलोमीटर की यात्रा करने के बाद यह समाप्त हुई। सुभाष चंद्र आठ साल से दुबई में रह रहे हैं। वह वहां निजी कंपनी में मेडिकल इंजीनियरिंग में बतौर सीनियर इंजीनियर सेवारत हैं। उनका बेटा भी उनके साथ वहीं रहता है। वह पहली क्लास में शिक्षा ग्रहण कर रहा है। बेटे ने बिना किसी तकलीफ के ट्रैकिंग को पूरा किया। उन्होंने युवान को 6 माह में तैराकी, मार्शल आर्ट और दौड़ने की ट्रेनिंग करवाई है।

युवान जुखाला से संबंध रखता है

सुभाष चंद्र का घर जुखाला क्षेत्र के सायर मुगरानी में है। युवान के दादा सुंदर राम, दादी और बाकी परिवार यहीं रहता है। युवान भी स्कूल की छुट्टियों में यहां आता है। युवान की इस उपलब्धि को लेकर खूब सराहना हो रही हैै।

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