शिमला। पर्यटन विकास निगम के घाटे में चल रहे 18 होटलों (Hotels) को शीघ्र बंद करें। यह आदेश (Order) प्रदेश हाईकोर्ट (High court) ने पर्यटन विकास निगम के प्रबंध निदेशक (Managing director) को जारी किए हैं।

इन होटलों के लिए जारी हुए आदेश

घाटे में चल रहे होटलों में द पैलेस होटल चैल, होटल गीतांजलि डलहौजी, होटल बाघल दाड़लाघाट, होटल धौलाधार धर्मशाला, होटल कुणाल धर्मशाला, होटल कश्मीर हाउस धर्मशाला, होटल एप्पल ब्लॉसम फागू, होटल चंद्रभागा कलोंग, होटल देवदार खजियार, होटल गिरिगंगा खड़ापत्थर, होटल मेघदूत कियारीघाट, होटल सरवरी कुल्लू, होटल लॉग हट्स मनाली, होटल हडिम्बा कॉटेज मनाली, होटल कुंजुम मनाली, होटल भागसू मैक्लोडगंज, होटल द कैसल नग्गर और होटल शिवालिक परवाणू शामिल हैं।

आदेशों की अनुपालना को सुनिश्चित करने के लिए प्रबंध निदेशक को व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार ठहराया

हाईकोर्ट ने पर्यटन विकास निगम के प्रबंध निदेशक को इन होटलों को बंद करने संबंधी आदेशों की अनुपालना को सुनिश्चित करने के लिए व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार ठहराया है। अदालत ने कहा कि ऐसा इसलिए करना जरूरी है, ताकि पर्यटन विकास निगम द्वारा इन सफेद हाथियों के रखरखाव में सार्वजनिक संसाधनों की बर्बादी न हो। अदालत के सामने 56 होटलों द्वारा किए व्यवसाय से जुड़ी जानकारी रखी गई थी। इसको खंगालने के बाद हाईकोर्ट ने 18 होटलों को सफेद हाथी करार दिया और कहा कि ये होटल राज्य पर बोझ हैं। इसके साथ हाईकोर्ट ने कहा कि पर्यटन विकास निगम अपनी संपत्तियों का उपयोग लाभ कमाने के लिए नहीं कर पाया है।

इन संपत्तियों का संचालन जारी रखना स्वाभाविक रूप से राज्य के खजाने पर बोझ

इन संपत्तियों का संचालन जारी रखना स्वाभाविक रूप से राज्य के खजाने पर बोझ के अलावा और कुछ नहीं है। हाईकोर्ट इस तथ्य का न्यायिक संज्ञान ले सकता है कि राज्य सरकार अदालत के समक्ष आए वित्त से जुड़े मामलों में आए दिन वित्तीय संकट की बात कहती रहती है। हाईकोर्ट ने यह आदेश पर्यटन निगम से सेवानिवृत कर्मचारियों को वित्तीय लाभ न देने से जुड़े मामले पर सुनवाई के बाद दिए।

उन कर्मचारियों की सूची मांगी, जिन्हें वित्तीय लाभ नहीं मिले हैं

हाईकोर्ट ने पर्यटन विकास निगम के प्रबंध निदेशक को घाटे में चल रहे होटलों को बंद करने से जुड़े इन आदेशों के क्रियान्वयन के लिए अनुपालन शपथ पत्र दाखिल करने को कहा है। हाईकोर्ट ने निगम से चतुर्थ श्रेणी के सेवानिवृत्त कर्मचारियों और अब इस दुनिया में नहीं रहे उन कर्मचारियों की सूची भी देने को कहा है, जिन्हें उनके वित्तीय लाभ नहीं मिले हैं।

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