गगल (कांगड़ा)। पीओके संघर्ष समिति जिला कांगड़ा की बैठक शनिवार को इच्छी में हुई। इसमें समिति के हक में लिए गए ऐतिहासिक फैसले के लिए जम्मू-कश्मीर के उच्च न्यायालय का आभार व्यक्त किया गया। संघर्ष समिति के अध्यक्ष दविंद्र कोहली ने कहा कि वर्षों से चली आ रही मांग को न्यायालय द्वारा मानना उनके अधिकारों का सम्मान है।

उन्होंने कहा कि यह निर्णय सुनिश्चित करता है कि इन परिवारों को 1947 के बाद जम्मू-कश्मीर में बसे पीओके के 26319 परिवारों के समान दर्जा और अधिकार प्राप्त हों। इममें पीओके से विस्थापित 31619 परिवारों में से 26319 परिवारों को जम्मू, कठुआ और राजौरी कैंप्स में शरण मिली।

5300 परिवार ऐसे थे, जिनको वहां सिर छुपाने की जगह न मिलने पर पंजाब, उत्तरप्रदेश, दिल्ली और हिमाचल प्रदेश में भेज दिया गया। लगभग 40 हजार परिवार और 12 लाख लोग विभाजन के कारण भूमिहीन हो गए थे। पिछले 75 वर्ष में किसी भी सरकार ने कोई मदद ऐसे परिवारों की नहीं की। अब जम्मू-कश्मीर से बाहर दूसरे राज्य में रह रहे विस्थापित लोगों को भी अब सम्मान अधिकार मिलेगा।

इन परिवारों में से गगल में बसे परिवारों को एयरपोर्ट विस्तारीकण के कारण फिर से विस्थापन का डर सता रहा है। आखिर कब तक वे विस्थापित होंगे। सरकारों को इसके बारे में सोचना होगा। एयरपोर्ट कहीं और भी बन सकता है।

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