कांगड़ा । सहौड़ा का पशु औषधालय पिछले करीब तीस सालों से एक बदहाल दुकान में चल रहा है। वो किराये पर ली गई है। इस बदहाल भवन (building) में एक तरफ दुकान (shop) है, जो फिलहाल बंद है। वहीं दूसरी तरफ पशु औषधालय चल रहा है, जिसमें छत की ऊंचाई कम होने के चलते झुक कर अंदर जाना पड़ता है। इसके ऊपर पशुओं का चारा रखा जाता है, जिसे बीच-बीच में चूहे पशु औषधालय में गिराते रहते हैं। यही नहीं, चूहे दवाइयों व अन्य सामान को नुकसान भी पहुंचाते रहते हैं। इस पशु औषधालय पर करीब सात गांवों के पशु धन के स्वास्थ्य का जिम्मा है। ये सभी कृषि प्रधान गांव हैं। यहां पशु धन की संख्या ज्यादा है।
ऐसे में यहां पशु औषधालय की जगह पशु अस्पताल होना यह चाहिए था। मगर विडंबना तो देखो, यहां अब तक पशु औषधालय ही अपने भवन को तरस रहा है। यह इस क्षेत्र के जन प्रतिनिधियों और संबंधित विभाग की अनदेखी का परिणाम है या फिर गहरी नींद का नतीजा या फिर मजबूरी कोई और है।
खैर यह तो वही जानें, मगर इस सबके बीच यहां के लोगों और पशु औषधालय में काम करने वाले कर्मियों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इस संबंध में जब उप निदेशक पशु पालन विभाग संजीव धीमान से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि पशु औषधालय के साथ लगती जमीन विभाग के नाम ट्रांसफर हो गई है। जैसे ही बजट का प्रावधान हो जाएगा, यहां भवन बना दिया जाएगा।