शिमला। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने ऐतिहासिक रिज मैदान में हुए राज्य स्तरीय समारोह में अनाथ, विशेष रूप से सक्षम बच्चों, निराश्रित महिलाओं और वृद्धजनों के लिए सुख आश्रय योजना की औपचारिक शुरुआत की। इसी के साथ हिमाचल अनाथ बच्चों एवं अन्य वंचित वर्गों की मदद के लिए कानून बनाकर यह योजना लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन गया। मुख्यमंत्री ने योजना के पात्र बच्चों को 4.68 करोड़ रुपये के वित्तीय लाभ का वितरण भी किया।
इसमें उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे 48 अनाथ बच्चों को फीस और छात्रावास व्यय के रूप में 15.52 लाख रुपये और मासिक व्यय के रूप में 11.52 लाख रुपये शामिल हैं। वहीं विभिन्न व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में अध्ययनरत 17 अनाथ बच्चों को 7.02 लाख रुपये फीस और 4.08 लाख रुपये मासिक व्यय का वितरण किया गया। मुख्यमंत्री ने पालक देखभाल एवं प्रायोजन (फोस्टर केयर) के तहत 1106 लाभार्थियों को 2.65 करोड़ रुपये के वित्तीय लाभ दिए। बाल देखभाल संस्थानों के 12वीं कक्षा के 30 मेधावी छात्रों को 10वीं कक्षा में बेहतर प्रदर्शन के लिए लैपटॉप प्रदान किए गए। उन्होंने लघु एवं सूक्ष्म उद्योगों की स्थापना के लिए तीन लाभार्थियों को छह लाख रुपये दिए। सीएम सुक्खू ने कहा कि वर्तमान प्रदेश सरकार राज्य में अनाथ एवं अन्य वंचित वर्गों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है।
उन्होंने कहा कि इसी रिज मैदान पर शपथ लेने के बाद वे बतौर मुख्यमंत्री सचिवालय के बजाय टुटीकंडी स्थित बालिका आश्रम पहुंचे और वहीं उन्हें इन वर्गों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए इस तरह की योजना का विचार आया। उन्होंने कहा कि विभिन्न वित्तीय चुनौतियों और और हाल ही में आई आपदा के बावजूद प्रदेश सरकार ने इस योजना को आरंभ करने का अपना संकल्प पूरा किया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सुख आश्रय योजना के तहत चिन्हित किए गए लगभग 2700 अनाथ बच्चे, जो कि अपने रिश्तेदारों के साथ रह रहे हैं, उन्हें भी 27 वर्ष की आयु पूर्ण होने तक 4000 रुपये मासिक वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इन बच्चों के संरक्षण के लिए पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध है। इस योजना में मातृत्व देखभाल की आवश्यकता वाले प्रत्येक बच्चे के लिए एक परिचारिका का भी प्रावधान किया गया है। तीन बच्चों के लिए एक मैट्रन का भी प्रावधान है। योजना में अनाथ बच्चों को वार्षिक आधार पर 15 दिवसीय अध्ययन भ्रमण करवाया जाएगा। इस दौरान उन्हें तीन सितारा होटलों में ठहराने सहित उनकी हवाई यात्रा और अन्य व्यय प्रदेश सरकार द्वारा वहन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अनाथ बच्चों को प्रदत्त यह अधिकार दया के रूप में नहीं, बल्कि एक कानून बनाकर उन्हें उपलब्ध करवाया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे बच्चे बड़े सपने देखें और उन्हें पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करें। उन्होंने कहा कि एकाग्रता, दृढ़ इच्छा शक्ति और कड़ी मेहनत सफलता की ओर ले जाती है। ये बच्चे प्रदेश का भविष्य हैं। ये बच्चे जीवन में अकेले नहीं हैं। इस योजना के तहत लाभार्थियों को 10 हजार रुपये वस्त्र भत्ता, 500 रुपये उत्सव अनुदान और 2 लाख रुपये विवाह अनुदान का भी प्रावधान है।
उच्च शिक्षा के लिए ये बच्चे एक लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता के लिए पात्र हैं। इन्हें 4000 रुपये प्रतिमाह जेब खर्च भी दिया जाएगा। यही नहीं, लघु एवं सूक्ष्म उद्योग की स्थापना के लिए 2 लाख रुपये तक का अनुदान प्रदान किया जाएगा। राज्य सरकार का भूमिहीन अनाथ बच्चों को गृह निर्माण के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में तीन बिस्वा भूमि और शहरी क्षेत्रों में दो बिस्वा तथा तीन लाख रुपये की वित्तीय सहायता का भी प्रस्ताव है।