नई दिल्ली। नाराज सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) की जज ने पूछा कि अगर पुरुषों को मासिक धर्म (Periods) से गुजरना पड़े तो क्या हो। एक मामले (Case) ने बुधवार को जस्टिस बीवी नागरत्ना को नाराज किया।

इस पर उनकी और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की बेंच ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट को प्रदर्शन के आधार पर राज्य की एक महिला जज को बर्खास्त करने और गर्भ गिरने के कारण उसे हुई पीड़ा पर विचार न करने पर फटकार लगाई।

देश की शीर्ष अदालत ने दीवानी जजों की बर्खास्तगी के आधार के बारे में हाईकोर्ट से स्पष्टीकरण भी मांगा। जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि पुरुष न्यायाधीशों पर भी ऐसे मानदंड लागू किए जाएंगे। मुझे यह कहने में कोई झिझक नहीं है। महिला गर्भवती हुई, उसका गर्भ गिर गया। इस दौरान उसको मानसिक और शारीरिक आघात झेलना पड़ा। काश! पुरुषों को भी मासिक धर्म होता तो उन्हें इससे संबंधित दुश्वारियों का पता चलता।

बेंच ने न्यायिक अधिकारी के आकलन पर सवाल उठाते हुए यह टिप्पणी की। न्यायिक अधिकारी ने दीवानी न्यायाधीश को गर्भ गिरने के कारण पहुंचे मानसिक व शारीरिक आघात को नजरअंदाज कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कथित असंतोषजनक प्रदर्शन के कारण राज्य सरकार द्वारा छह महिला दीवानी न्यायाधीशों की बर्खास्तगी पर 11 नवंबर, 2023 को स्वयं संज्ञान लिया था।

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की पूर्ण पीठ ने एक अगस्त को पुनर्विचार करते हुए चार अधिकारियों ज्योति वरकड़े, सोनाक्षी जोशी, प्रिया शर्मा और रचना अतुलकर जोशी को कुछ शर्तों के साथ बहाल कर दिया। वहीं दो अधिकारियों अदिति कुमार शर्मा और सरिता चौधरी को राहत नहीं दी। फिर यह मामला देश की शीर्ष अदालत में पहुंचा।

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