कांगड़ा। बुखार (Feaver) को न हल्के में न लें, यह स्क्रब टाइफस हो सकता है। समय पर इलाज से मरीज को शीघ्र स्वास्थ्य लाभ मिलता है। यह बात एसएमओ (SMO) कांगड़ा डॉ. अल्पना कायस्था और डॉ. मोनिका राज ने कही। उन्होंने बरसात में होने वाली बीमारियों एवं उनसे बचाव की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि बरसात के मौसम में स्क्रब टाइफस के मरीजों की गिनती में अचानक वृद्धि हो जाती है।
घास के संपर्क से संक्रमित होने की आशंका और बढ़ जाती है
घास के संपर्क से इस बीमारी से संक्रमित होने की आशंका और बढ़ जाती है। उन्हाेंने बताया कि स्क्रब टाइफस एक रिकेटसिया नामक जीवाणु से फैलता है और यह पिसुओं में पाया जाता है।
पिस्सू के काटने से स्क्रब टाइफस फैलाता है
पिस्सू के काटने से स्क्रब टाइफस फैलाता है। डॉ. अल्पना का कहना है कि लोगों को स्क्रब टाइफस और अन्य जीवाणु तथा वायरस जनित रोगों से बचाव को लेकर शिक्षित एवं जागरूक करने पर बल दिया जा रहा है। इसके लक्षण जैसे बुखार आना, कंपन होना, सिरदर्द, जोड़ों में दर्द होना और कभी-कभी मरीज को चमड़ी पर काले धब्बे हो सकते हैं। इसकी रोकथाम के लिए इन बाताें का ध्यान रखें।
यह सावधानी बरतें
घर के आस-पास घास या झाड़ियां न उगने दें तथा समय-समय पर सफाई करते रहें। शरीर को स्वच्छ रखें और हमेशा साफ कपड़े पहनें। आसपास जलजमाव बिल्कुल न होने दें। घर के अंदर और आसपास कीटनाशकों का छिड़काव अवश्य करें। खेतों में काम करते समय हाथ व पैरों को अच्छे से ढककर रखें। घर आकर नहाएं। बरसात के मौसम में इस बीमारी के रोगियों की संख्या बढ़ जाती है। समय पर डाक्टर को दिखाने पर इसका आसानी से इलाज संभव है। यह रोग एक आदमी से दूसरे को नहीं फैलता है। स्क्रब टायफस का ज्यादा प्रकोप जुलाई से अक्तूबर तक रहता है। इस मौसम में अधिकतर लोग खेतों, घासनियों और बागीचों में घास काटते हैं या इसके संपर्क में आते हैं।