महाभारत खासकर पांडवों से जुड़े इतिहास (history) के कई साक्ष्य मिलते रहते हैं। हिमाचल, उत्तराखंड और हरियाणा में महाभारत काल के साक्ष्य एवं पांडवों द्वारा निर्मित मंदिर (temple) स काल के बारे में अहम जानकारियों को पुख्ता करते हैं।
यही नहीं, उस समय के रहन-सहन एवं अन्य पहलुओं के बारे में भी पता चलता है। महाराज पांडु पुत्र भीम कितने बलशाली थे, इसके बारे में भी कई साक्ष्य देखने को मिलते हैं।
भीम के असीम बल के बारे में पता चलता है
पांडव पुत्र भीम के कंचों की जानकारी हनोल स्थित महासू देवता मंदिर में मिलती है। इनसे पांडु पुत्र भीम के असीम बल के बारे में पता चलता है। इस मंदिर के परिसर में दो छोटे सीसे के गोले रखे हैं। कहा जाता है कि यह भीम के कंचे हैं। इनसे वह खेलते थे, लेकिन इन मामूली और कम वजनी दिखने वाले गोलों को उठाने में अच्छे से अच्छे पहलवनों के पसीने छूट जाते हैं। इनमें से एक गोले का वजन 240 और दूसरे का 360 किलोग्राम है। मान्यता है कि यह कंचे अभिमान (Pride) के बल से नहीं, बल्कि सच्ची श्रद्धा की भावना से उठते हैं।
पांडव अज्ञातवास के दौरान यहां ठहरे थे
महाभारत काल में पांडवों के अज्ञातवास के साक्ष्य जौनसार क्षेत्र में आज भी मौजूद हैं। मान्यता है कि पांडव अज्ञातवास के दौरान हनोल, चकराता, लाखामंडल और कालसी क्षेत्र में ठहरे थे। यहां हनोल स्थित महासू महादेव मंदिर परिसर में सीसे के दो गोले रखे हैं।
महासू देवता मंदिर का निर्माण पांडवों ने करवाया था
मंदिर समिति के अनुसार हनोल महासू देवता मंदिर का निर्माण पांडवों ने करवाया था।
नागर शैली का शानदार नमूना, कला और संस्कृति की अनमोल धरोहर
उत्तराखंड में स्थित यह मंदिर नागर शैली का शानदार नमूना है। वहीं कला और संस्कृति की अनमोल धरोहर है। यह भोटा महासू देवता को समर्पित मंदिर है।