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    Home»देश»Supreme court ने कंगना की याचिका सुनने से किया इंकार
    देश

    Supreme court ने कंगना की याचिका सुनने से किया इंकार

    मानहानि केस में देश की शीर्ष अदालत से भी नहीं मिली राहत
    adminBy adminSeptember 12, 2025108 Views4 Mins Read
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    नई दिल्ली। फिल्म अभिनेत्री, भाजपा नेत्री एवं हिमाचल के मंडी संसदीय क्षेत्र से सांसद कंगना रनौत की याचिका पर देश की शीर्ष अदालत (Supreme court) ने सुनवाई से इंकार कर दिया है। कंगना रनौत (kangna ranout) ने किसान आंदोलन से जुड़े मामले पर याचिका दायर की थी।

    अदालत के इस रुख के बाद कंगना ने अपनी याचिका वापस ले ली है। अदालत ने कहा कि हम आपके ट्वीट पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे, इससे ट्रायल पर असर पड़ेगा। ये सिर्फ एक साधारण री-ट्वीट नहीं था, इसमें आपकी टिप्पणी भी शामिल थी। कंगना रनौत ने 2020-21 में किसान आंदोलन के दौरान की गई मानहानि टिप्पणी के चलते पंजाब में दर्ज केस को रद करने की मांग की थी।

    कंगना के खिलाफ मानहानि की यह शिकायत 2021 में पंजाब के बठिंडा कोर्ट में 73 साल की महिंदर कौर ने दर्ज करवाई थी। शिकायत में कहा गया कि कंगना ने री-ट्वीट में उनके खिलाफ मानहानि करने वाले आरोप लगाए हैं। कंगना ने महिंदर कौर की फोटो वाले ट्वीट को री-ट्वीट कर कहा था कि यह वही बिलिकिस बानो दादी है, जो शाहीन बाग प्रदर्शन का हिस्सा थी।
    न्यायाधीश विक्रम नाथ और संदीप मेहता की पीठ ने कंगना की याचिका पर सुनने से इंकार करते हुए इसे वापस लेने की सलाह दी। इसे याचिकाकर्ता ने मान लिया।

    न्यायाधीश संदीप मेहता ने ट्वीट में की गई टिप्पणियों को लेकर आपत्ति जताई और कहा, ‘यह सिर्फ एक साधारण री-ट्वीट नहीं था। आपने अपनी टिप्पणियां जोड़ी थीं। आपने इसमें मसाला लगाया है। जब कंगना की ओर से वकील ने तर्क दिया कि उन्होंने स्पष्टीकरण दिया है। अदालत ने स्पष्ट किया कि यह स्पष्टीकरण निचली अदालत में दिया जा सकता है। वकील ने यह भी कहा कि कंगना पंजाब में यात्रा नहीं कर सकतीं, जिस पर पीठ ने सुझाव दिया कि वह व्यक्तिगत उपस्थिति के लिए छूट मांग सकती हैं। वकील ने आगे बहस करने की कोशिश की तो अदालत ने चेताया दी कि इससे उन्हें प्रतिकूल टिप्पणियां झेलनी पड़ सकती हैं। इससे उनके बचाव पक्ष को नुक्सान पहुंच सकता है। न्यायमूर्ति मेहता ने कहा कि हमें ट्वीट में की गई बातों पर टिप्पणी करने के लिए मजबूर न करें। इससे आपकी सुनवाई पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। आपके पास एक ठोस बचाव हो सकता है।

    गौर हो कि वर्ष 2021 में किसान आंदोलन के दौरान कंगना ने एक ट्वीट को री-ट्वीट करते हुए बुजुर्ग महिला प्रदर्शनकारी महिंदर कौर को लेकर एक टिप्पणी की थी। इसमें लिखा था कि यह वही दादी हैं, जिन्हें टाइम मैगजीन में सबसे शक्तिशाली भारतीय बताया गया था… और यह ₹100 में उपलब्ध हैं। इस टिप्पणी में उन्हें शाहीन बाग की बिलकिस दादी से गलत रूप से जोड़ा गया था और संकेत दिया गया कि प्रदर्शनकारियों को पैसे देकर लाया गया था।

    इस केस में अब तक चली कानूनी प्रक्रिया में मजिस्ट्रेट कोर्ट ने जांच के बाद पाया कि कंगना द्वारा री-ट्वीट किया गया था और उनकी टिप्पणी IPC की धारा 499 (मानहानि) के तहत अपराध बनता है। कंगना ने इसके खिलाफ पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की, जिसे खारिज कर दिया गया। कंगना ने तर्क दिया कि यह ट्वीट सद्भावना के तहत किया गया था और उनके पास दोषपूर्ण मानसिकता नहीं थी, जिससे वह धारा 499 के 9वें और 10वें अपवाद के अंतर्गत आती हैं। हाईकोर्ट ने यह कहते हुए याचिका खारिज की कि मजिस्ट्रेट का अपवादों पर विचार न करना अपने आप में आदेश को अवैध नहीं बनाता।

    इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि सिर्फ इसलिए कि शिकायत केवल कंगना के खिलाफ दर्ज की गई और मूल ट्वीट करने वाले व्यक्ति को नामजद नहीं किया गया। यह शिकायत को दुर्भावनापूर्ण ठहराने का आधार नहीं बन सकता। कंगना द्वारा री-ट्वीट की पुष्टि के लिए ट्विटर कम्युनिकेशंस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (TCIPL) से रिपोर्ट मांगी गई थी, जो प्राप्त नहीं हुई। इस पर कोर्ट ने कहा कि यह कंपनी www.twitter.com की मालिक या नियंत्रक नहीं है, बल्कि एक अलग संस्था है, जो केवल मार्केटिंग और अनुसंधान में लगी है। इसलिए रिपोर्ट न आने को मजिस्ट्रेट के आदेश के खिलाफ नहीं माना जा सकता।

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