वैदिक पंचांग के मुताबिक 23 अप्रैल की रात को आसमान में अनौखी खगौलिए घटना होगी। इस रात को पिंक मून दिखाई देगा। इस अनौखे नजारे की शुरुआत 23 अप्रैल अल सुबह 3 बजकर 24 मिनट पर होगी। यह अगले दिन 24 अप्रैल को 5 बजकर 18 मिनट तक चलेगा।

क्या है पिंक मून

पिंक मून के दौरान चांद पूरी तरह से गुलाबी नहीं दिखता है। चांद जब धरती के करीब हो और उसी समय पूर्णिमा हो तो पिंक फुल मून होता है। इस अवधि में चांद सामान्य की तुलना में करीब 14 फीसदी बड़ा दिखाई देता हैै।

यह है धार्मिक महत्व

हिंदू धर्म में सूर्य और चंद्रमा का विशेष महत्व हैै। यही कारण है कि इनसे जुड़ी हर घटना को जरूरी माना जाता हैै। हिंदू कैलेंडर के तुताबिक वर्ष का प्रथम माह चैत्र होता हैै। इस माह की पूर्णिमा के दिन पिंक मून दिखने वाला हैै। पिंक मून गुलाबी नहीं दिखता है, बल्कि आम दिनों की तरह सिल्वर और गोल्डन रंग में दिखाता हैै।

ये नाम भी दिए गए हैं

पिंक मून को सुपरमून, एग मून, फिश मून, स्प्राउटिंग ग्रास मून, फसह मून, पक पोया और फेस्टिवल मून के नाम से भी जाना जाता हैै। चेत्र पूर्णिमा को चैती पूनम भी कहते हैैं।

पिंक मून दिखने के कारण

अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा के अनुसार साल 1979 में पिंक या सुपर मून पहली बार देखा गया था। उस दौरान एस्ट्रोनॉमर्स ने इसे पेरीजीन फुल मून नाम दिया गया। फिर सुपर मून नाम दिया गया।

पिंक मून का कोई नुक्सान नहीं

पिंक मून का कोई नुक्सान नहीं होता है। यह सिर्फ एक नाम ही है। इसके पीछे कोई वैज्ञानिक कारण नहीं है। इसका नाम अमेरिका और कनाडा में इस मौसम में खिलने वाले एक फूल पर रखा गया है, जिसका नाम फ्लॉक्स सुबुलाता है। इसे मॉस पिंक भी कहते हैं। इसके नाम पर ही इस सीजन में दिखने वाले सुपर मून को पिंक सुपर मून कहा गया है।

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