नई दिल्ली। कड़छम-वांगतू प्रोजेक्ट (Project) से हिमाचल को 18% रॉयल्टी मिलेगी। इससे राज्य को हर साल ₹ 250 करोड़ की अतिरिक्त आय (Income) होगी। देश की सर्वोच्च अदालत (Suprime court) ने कड़छम- वांगतू जलविद्युत परियोजना से रॉयल्टी को लेकर राज्य सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया है।
इसके तहत अब जेएसडब्ल्यू एनर्जी कंपनी को 1045 मेगावाट क्षमता वाली इस परियोजना से राज्य को 12 प्रतिशत के बजाय 18 प्रतिशत रॉयल्टी देनी पड़ेगी। राज्य सरकार को उम्मीद है कि इस फैसले से हर साल ₹ 250 करोड़ से अधिक की आय आएगी। यह फैसला न केवल प्रदेश की आय में वृद्धि करेगा, बल्कि हिमाचल की जनता को उनके संसाधनों का वास्तविक लाभ भी दिलाएगा।
सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मई 2024 में आए आदेश को निरस्त करता है, जिसमें कंपनी को केवल 12 प्रतिशत रॉयल्टी देने की अनुमति दी गई थी। वर्ष 1999 में राज्य सरकार और कंपनी के बीच हुए समझौते के अनुसार परियोजना के पहले 12 वर्षों तक 12 प्रतिशत और उसके बाद शेष 28 वर्षों तक 18 प्रतिशत रॉयल्टी निर्धारित की गई थी।
सितंबर 2011 में परियोजना के संचालन के आरंभ होने के बाद कंपनी ने 12 वर्षों तक 12 प्रतिशत रॉयल्टी दी, लेकिन सितंबर 2023 से अतिरिक्त 6 प्रतिशत रॉयल्टी देने से मना कर दिया। विवाद हाईकोर्ट में पहुंचा और कंपनी की जीत हुई। लेकिन राज्य सरकार ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।
मुख्यमंत्री सुक्खू के निर्देश पर सरकार ने देश के अग्रणी विधि विशेषज्ञों की मदद से यह मामला रखा और अंततः न्यायालय ने राज्य सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया। इस मामले में राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, प्राग त्रिपाठी, महाधिवक्ताा अनूप कुमार रतन तथा अतिरिक्त महाधिवक्ता वैभव श्रीवास्तव सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए।