मंडी। बेटे ने अपनी नशे की तलब पूरी करने के लिए मां को घुटने के दर्द की दवा बताकर चिट्टे की डोज दे दी। मां को जब बेटे की करतूत के कारण दर्द से राहत महसूस हुई तो बेचारी ने उसी दवा यानी चिट्टे की अगले दिन फिर मांग की। बेटे ने फिर मां को चिट्टा थमा दिया। यह सिलसिला ऐसे ही चलता रहा। इस तरह मां को नशे की लत लग गई। नशे के दलदल में धंसे क्षेत्र के अन्य युवकों ने भी ऐसा ही किया। किसी ने घुटने के दर्द की दवा बताकर तो किसी ने अन्य कोई बहाना बनाकर धोखे से अपने परिजनों को मौत के इस कुएं में धकेल दिया। एक-दो नहीं, बल्कि करीब 20 परिवार हैं, जो नशे की लत के शिकार हो गए हैं। मां-बाप को नशे की ऐसी लत लगी कि खुद पैसा देकर चिट्टा मंगवाना शुरू कर दिया। अपने पैसे खत्म हो गए तो रिश्तेदारों से उधार लिया। उधार न मिलने पर गहने, बर्तन और पेड़ों को बेचकर नशे की खेप मंगवाई जा रही है। नशे की लत लगने के बाद युवा हर हद तक नीचे गिर सकते हैं, इसका जीवंत उदाहरण मंडी जिले के सुंदरनगर उपमंडल के बिलासपुर जिले के सीमावर्ती क्षेत्र सलापड़ में देखने को मिला है। यहां एक साल में तीन युवक जान गंवा चुके हैं, लेकिन नशा माफिया का खौफ इतना है कि कोई कुछ कहने को तैयार नहीं है। एसपी मंडी साक्षी वर्मा का कहना है कि पुलिस चिट्टे समेत अन्य नशे के खिलाफ लगातार कार्रवाई कर रही है। सीमावर्ती क्षेत्र में भी लगातार कार्रवाई की जा रही है। भविष्य में और सख्ती से यहां अभियान चलाकर कार्रवाई की जाएगी।

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