कांगड़ा। कांगड़ा की बेटी कृषि वैज्ञानिक डॉ. दीपाली चड्ढा को नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रुरल डेवल्पमेंट (नाबार्ड) ने शोध अवॉर्ड दिया है। डॉ. दीपाली इंटरनेशनल राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट फिलीपींस की भारत में स्थित भुवनेश्वर शाखा में बतौर कृषि वैज्ञानिक सेवाएं दे रही हैं।
जीएवी पब्लिक स्कूल कांगड़ा के प्रधानाचार्य सुनील कांत चड्ढा की बेटी हैं डॉ. दीपाली
वह जीएवी पब्लिक स्कूल कांगड़ा के प्रधानाचार्य सुनील कांत चड्ढा की बेटी हैं। उनके पति आयुष भंडारी बतौर कृषि वैज्ञानिक नेशनल सीड्स कॉरपोरेशन बठिंडा में सेवारत हैं। डॉ. दीपाली को यह अवॉर्ड उनके द्वारा जलवायु परिवर्तन के कारण फसलों की पैदावार प्रभावित न हो और फसल बीमा योजना से हर किसान कैसे लाभान्वित हो, पर लिखे शोध पत्र पर मिला है।
यह अवॉर्ड लेने वाली हिमाचल की पहली बेटी बनीं
डॉ. दीपाली नाबार्ड से यह अवॉर्ड लेने वाली हिमाचल की पहली बेटी बन गई हैं। इस समय डॉ. दिपाली चड्ढा केंद्र सरकार के किसानों के उत्थान के लिए किए जा रहे प्रयासों और लिंग समानता पहल के हिस्से के रूप में पश्चिम बंगाल और ओडिसा में महिला किसानों के लिए सामाजिक तकनीकी विकास पर काम कर रही हैं। वह अपने प्रयासों पर से लिंग और आजीविका का अनुसंधान समूह के हिस्से के रूप में कार्यरत है।
गौर हो कि नाबार्ड का वार्षिक पुरस्कार डॉक्टरेट डिग्री छात्रों द्वारा किए गए उत्कृष्ट मूल शोध को मान्यता प्रदान करने के लिए युवा शोधकर्ताओं के लिए आवेदन आमंत्रित करता है। नाबार्ड ने 2023 में देश में तीन वैज्ञानिकों को यह अवॉर्ड दिया गया।