कांगड़ा। मकर संक्रांति के पावन पर्व पर रविवार शाम को मां बज्रेश्वरी की पिंडी पर मक्खन का लेप किया गया। इस दौरान करीब 21 क्विंटल मक्खन और मेवों से माता की पिंडी सजाई गई। इस दौरान भजन संध्या भी करवाई गई।
श्रद्धालुओं ने इस घृत पर्व को लेकर करीब 26 क्विंटल घी दान किया है। घृत पर्व में 21 क्विंटल घी का प्रयोग हुआ। शेष पांच क्विंटल घी माता की जोत आदि जलाने के लिए रखा गया है। माता की पिंडी पर चढ़े मक्खन को बाद में श्रद्धालुओं को प्रसाद के रूप में बांटा जाता है।
यह है मान्यता
मान्यता है कि यह मक्खन चर्म और कैंसर जैसे रोगों में भी लाभकारी होता है। इसे खाया नहीं, बल्कि त्वचा पर लगाया जाता है।
क्यों मानते हैं घृत पर्व
कहा जाता है कि असुरों के साथ युद्ध में मां को घाव हो गए थे, जिन पर मक्खन लगाया गया था। उसी घृत पर्व का चलन शुरू हो गया। यह भी कहा जाता है कि जहां माता का बाग है, वहीं किसान को हल चलाते समय मां की पिंडी मिली थी। हल से माता की पिंडी पर घाव हो गए थे। इन घावों पर मक्खन लगाया गया, तब से घृत पर्व मनाया जाने लगा।