राकेश सोनी। नादौन
यहां विद्युत बोर्ड पेंशन फोरम इकाई नादौन ने रविवार को बैठक की। इसकी अध्यक्षता इकाई अध्यक्ष राजकुमार चौधरी ने की। बैठक में मौजूद सदस्यों को विद्युत बोर्ड इंप्लाइज यूनियन के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप सिंह खरवाड़ा ने संबोधित किया।
उन्होंने कहा कि बिजली बोर्ड एक गैर जिम्मेदार प्रबंधन वर्ग के हाथों में होने के कारण आर्थिक रूप से लगातार कमजोर होता जा रहा है। उन्होंने कहा कि पहली जनवरी 2016 के बाद रिटायर हुए कर्मचारियों को छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के आधार पर संशोधित वेतनमानों का लाभ नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने कहा कि आज भी हजारों पेंशनरों के पेंशन संशोधन के मामले हल नहीं हो पाए हैं। जिन पेंशनरों का पेंशन संशोधन हुआ भी है, उनकी बकाया राशि का भुगतान नहीं हो पा रहा है।
यहां तक कि पिछले 1 साल में रिटायर हुए कर्मचारियों को उनके लीव-इन-कैशमेंट व ग्रेच्युटी का भुगतान नहीं हो पा रहा है। वहीं मेडिकल बिलों की अदायगी भी नहीं हो पा रही है। खरवाड़ा ने कहा कि आज पेंशनरों व कर्मचारियों की देनदारियों की लगभग 300 करोड़ रुपये से ज्यादा की ड्राइंग लिमिट लंबित पड़ी है। विद्युत बोर्ड का प्रबंधन वर्ग बिजली बोर्ड को चलाने में पूर्ण रूप से विफल रहा है। उन्होंने कहा कि आज बिजली बोर्ड की कार्यप्रणाली को जंग लग चुका है और विद्युत व्यवस्था भी प्रभावित हो रही है।
खरवाड़ा ने कहा कि 31 दिसंबर 2015 तक सेवानिवृत्त हुए कर्मचारियों को 1 जनवरी 1986 से नोशनली पे फिक्सेशन के आधार पर जो पेंशन का संशोधन होना था, वह भी नहीं हो पा रहा है। उन्होंने कहा कि लगभग 20 हजार पेंशनरों में से मात्र 1800 का ही संशोधन हो पाया है। नोशनली पे फिक्सेशन के लिए विद्युत बोर्ड पेंशनर फोरम के द्वारा प्रबंधक वर्ग से अतिरिक्त स्टाफ मुहैया करवाने की मांग की थी।
प्रबंधन ने इसे माना था, लेकिन हाल ही में बिजली बोर्ड के प्रबंधन ने 4 कंसलटेंट नोशनली पे फिक्सेशन के कार्य में लगे थे, उनको भी हटा दिया। यही नहीं नोशनली पे फिक्सेशन की प्रक्रिया को ही बंद कर दिया। बिजली बोर्ड के 29000 पेंशनरों में बोर्ड प्रबंधन की कार्यप्रणाली को लेकर रोष व्याप्त है। उन्होंने कहा कि बिजली बोर्ड लिमिटेड में कर्मचारियों की प्रमोशन की फाइलें साढ़े तीन महीने से लंबित होने की वजह से कर्मचारी बिना प्रमोशन के रिटायर हो रहे हैं।
बिजली बोर्ड के प्रबंध निदेशक हरिकेश मीना बिजली बोर्ड की स्थिति को सुधारने की बजाय उसको और बदतर बनाने में लगे हुए हैं। प्रबंध निदेशक की कार्यशैली से प्रदेश सरकार व प्रदेश के मुख्यमंत्री की छवि पर भी विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने कहा की मुख्यमंत्री बिजली बोर्ड को जिम्मेदार प्रबंधक वर्ग के हवाले करें और वर्तमान में काम कर रहे कार्यवाहक प्रबंध निदेशक को जल्द बोर्ड से हटाया जाए।